पुरुष द्वारा स्त्री को मारा गया हर थप्पड़ पितृसत्तात्मक सोच का नतीजा नहीं! मै वास्तविक घटनाओं पे आर्धारित ३ कहानियों के माध्यम से इस बात को रखना चाहता हूँ। पेश है इस कड़ी की पहली कहानी : कहानी १ : चित्रा चित्रा कॉलेज से स्नातक होकर निकलने वाली है। बहुत सारी बहुराष्ट्रीय संस्थान और कम्पनीज कैंपस प्लेसमेंट के लिए कॉलेज आयी हुई हैं। चित्रा अपने बैच की सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थियों में से एक रही है इसीलिए उसके पास ३-३ बड़ी कंपनियों से ऑफर लेटर आया है। आज वो बहुत खुश है क्योंकि उसको अपना जीवन अब एक सही दिशा में दौड़ता हुआ दिख रहा है। वो इस न्यूज़ को सबसे पहले अपने बॉयफ्रेंड-अरुण जिससे वो ३ साल से रिलेशनशिप में है उससे साझा करना चाहती है। अरुण को अमेरिका के एक यूनिवर्सिटी ने पहले ही स्कोलरशिप पे अमेरिका आने का निमंत्रण दे दिया है। चित्रा अरुण को फ़ोन लगाती है और उसको ये न्यूज़ सुनाती है की उसका चयन अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में हो गया है और वो बेहद खुश है। लेकिन अरुण का जवाब सुन चित्रा को सदमा सा लगता है। अरुण चित्रा से ब्रेकअप करना चाहता है। अमेरिका जाने से पहले ही दोनों का ब्रेकअप हो ज
पुरुष द्वारा स्त्री को मारा गया हर थप्पड़ पितृसत्तात्मक सोच का नतीजा नहीं!